प्रकाश दास और नबीउल हसन, दोनों की मौत की कहानियों में एक फ़ोन कॉल का ज़िक्र आता है, एक संदेहास्पद फ़ोन कॉल का.
प्रकाश की बीवी झिनुक मालादास पति को फ़ोन पर पेमेंट दिए जाने का वायदा कर बुलाए जाने और फिर उनकी मौत की ख़बर की बात कहती हैं.
तो नबीउल हसन की मां आसिया बीबी कहती हैं, "एक आदमी ने फ़ोन करके बुलाया कि कहीं जाना है फिर मेरा बेटा मारा गया."
(नबीउल हसन का नाम ज़्यादातर जगहों पर रबीउल इस्लाम लिखा गया है, लेकिन परिवार का कहना है कि उनका नाम नबीउल था)
प्रकाश और हसन को गाय चोरी के इलज़ाम में पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में पीट-पीटकर मार डाला गया था और उनकी गाड़ी फूंक दी गई थी.
गाड़ी को तहस-नहस कर जलाए जाने के निशान सड़क पर तो नहीं, जहां पिकअप वैन को पकड़ा गया होगा बल्कि हाट से थोड़ा अलग एक प्राइमरी स्कूल के प्रांगण में दिखते हैं.
पुलिस के मुताबिक़ केदारहाट गांव के लोगों ने गाड़ी में गाय दिखने और पूछताछ का सही जवाब न मिलने पर प्रकाश दास और नबीउल हसन की बुरी तरह पिटाई की और गाड़ी में आग लगा दी गई.
ख़बरों के मुताबिक़ भीड़ ने कथित चोरी की गाय को खेत में छोड़ जाने दिया था.
परिवार का कहना है कि पिकअप वैन मुताबिक़ हसन की थी, जिसे प्रकाश ड्राइव कर रहा था. प्रकाश हालांकि हसन के लिए लगातार काम नहीं करता था.
चाचा सबीदुल हक़ कहते हैं कि हसन के पास कोई परमानेंट ड्राइवर नहीं था और काम के हिसाब से उन्हें एक या चंद दिनों के लिए रख लेता था.
उन्होंने बताया, "हसन मसाला, चाय और रोज़मर्रा के दूसरे सामान बाज़ार में सप्लाई करता था और उसी काम से उसे दिन माथा भंगा गया था जब केदारहाट के पास क्लब के कुछ लड़कों ने चंदे के लिए उसे पकड़ा और फिर मार-धाड़ किया. बाद में गाय लाकर बांध दिया."
परिवार वाले हादसे के वक़्त हसन के पास एक मंहगा मोबाइल, कैश और सोने की अंगूठी वग़ैरह होने का भी दावा करते हैं.
चार कमरे, बरामदे, आंगन और दालान और पक्की दीवारों से बना घर हसन की माली हैसियत बयां करते हैं.
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