Friday, December 27, 2019

अपने आर्थिक भविष्य की रक्षा करने के संघर्ष में लगा एक द्वीप

"वो मंज़र कुछ ऐसा था जैसे वहां कोई बम फेंका गया हो."

प्यूर्टो रिको में मेडिकल टेकनोलॉजी इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रमुख कार्लोस रिवेरा-वेलेज़ 20 सितंबर 2017 के दिन को याद करते हुए कहते हैं.

यह वो दिन था जब इस कैरिबियाई द्वीप पर एक भयंकर तूफ़ान 'मारिया' आया था.

अमरीका के इस 110 मील लंबे, 35 मील चौड़े द्वीप पर उस तूफ़ान ने 2,975 लोगों की जानें ले ली थीं.

रिवेरा वेलेज़ कहते हैं, "मैं अपनी कंपनी की साइट पर तीन दिनों तक नहीं पहुंच पाया. तूफ़ान की वजह से टेलीफ़ोन की टावरें मुड़ गई थीं, छतें फट गई थीं. सड़कों पर चारों तरफ़ मलबा ही मलबा बिखरा था."

पहले से चरमराई कॉमनवेल्थ प्यूर्टो रिको की अर्थव्यवस्था इस मानव त्रासदी के बाद एक दम से हाशिए पर आ गई.

120 बिलियन डॉलर (लगभग 8553.876 अरब रुपये) क़र्ज़ और पेंशन की ज़िम्मेदारियों की वजह से महज़ चार महीने पहले मई 2017 में प्यूर्टो रिको को दिवालिया घोषित किया गया था.

अर्थव्यवस्था की इस गिरावट के बीच आलम यह था कि प्यूर्टो रिको के पास उस साल अपने क़र्ज़दारों को देने के लिए 3.5 बिलियन डॉलर (लगभग 249.5 अरब रुपये) तक नहीं थे.

ऐसा नहीं था कि प्यूर्टो रिको कि यह हालत 'मारिया' के आने से हुई, क्योंकि बीते एक दशक के दौरान केवल 2012 में ही प्यूर्टो रिको की अर्थव्यवस्था में 0.5% की वृद्धि देखी गई थी.

लेकिन इस तूफ़ान ने अनुमानित 100 बिलियन डॉलर (7127.9 अरब रुपये) की क्षति पहुंचाई और समूचे द्वीप में इमारतें और अन्य बुनियादी ढांचे दोबारा बनाने पड़े. इनके निर्माण की वजह से प्यूर्टो रिको की अर्थव्यवस्था में जुलाई 2019 में 4 फ़ीसदी की बढ़त देखी गई.

हालांकि, घटती हुई आबादी वाले इस अर्थव्यवस्था के लिए इसे फौरी राहत माना ही माना जा रहा है. आबादी में कमी का मुख्य कारण यहां के लोगों के पास उस अमरीकी पासपोर्ट का होना है जिसकी मदद से वो वहां नौकरी कर सकते हैं.

लैटिन अमरीका और कैरिबियन इन द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट के प्रमुख अर्थशास्त्री रॉबर्ट वुड ने कहा है कि यहां की अर्थव्यवस्था में अगले दो वर्षों में फिर से गिरावट आएगी.

वे कहते हैं, "मारिया तूफ़ान के बाद जो पुनर्निर्माण कार्य हुए उसका प्रभाव 2018/19 में देखा गया और ये अब धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है. लोगों के इस द्वीप को छोड़ने और प्रतिस्पर्धा में आई कमी की वजह से अर्थव्यवस्था अब एक बार फिर अपने दीर्घकालिक गिरावट की तरफ़ बढ़ रही है."

2006 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर (विनिर्माण क्षेत्र), ख़ास कर फॉर्मा सेक्टर, को टैक्स में रियायत दी गई थी. बाद में चरणबद्ध तरीक़े से पलटे गए इस क़दम को अमरीकी कंपनियों को अनुचित तौर पर बढ़ावा देने के तौर पर देखा जाता है.

1976 में दी गई टैक्स रियायत में प्यूर्टो रिको में बिज़नेस कर रही अमरीकी कंपनियों को संघीय कर से छूट प्राप्त थीं. इनमें प्यूर्टो रिको में काम कर रहीं फाइज़र, ब्रिस्टल-मायर्स स्क्विब, एस्ट्राज़ेनेका और नोवार्टिस जैसी बड़ी कंपनियां शामिल थीं. फ़ाइज़र अपने वियाग्रा को यहीं बनाया करती थी.

प्यूर्टो रिको की कंपनी सीएचडीआर फॉर्मास्युटिकल कंसल्टिंग सर्विसेज़ के प्रमुख और फ़ाइज़र के पूर्व वरिष्ठ कर्मचारी कार्लोस डेल रियो कहते हैं, "यह सच नहीं है, टैक्स दरें शायद पूरी दुनिया में सबसे कम थीं और इसकी वजह से बहुत सी बड़ी कंपनियां इस द्वीप की तरफ़ आकर्षित हुईं, जिसकी वजह से हमारी अर्थव्यवस्था को ज़बरदस्त फ़ायदा पहुंचा."

टैक्स में रियायत की वजह से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 20 सालों का सबसे बड़ा उछाल आया. तब यहां कृषि अर्थव्यवस्था से परिवर्तन का दौर चल रहा था जिसकी शुरुआत 1950 के दशक में तब हुई थी जब प्यूर्टो रिको ने गन्ने के उत्पादन से हटना शुरू किया था.

लेकिन जब एक बार फिर 2006 के अंत में वैसी ही टैक्स रियायतें दी गईं तो इस बार अर्थव्यवस्था में गिरावट आई. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2017 के अंत तक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोज़गार का आंकड़ा अपने 1996 में 73,200 की तुलना में आधे स्तर पर पहुंच गया.

कैटेगरी फ़ोर (दूसरा सबसे तेज़) 'मारिया' तूफ़ान के आने के दो हफ़्ते बाद ही एक छोटा तूफ़ान 'इरमा' आया.

प्यूर्टो रिको प्लानिंग बोर्ड में आर्थिक और सामाजिक नियोजन कार्यक्रम के निदेशक अलेजान्द्रो डियाज़ मारेरो कहते हैं, "हम एक तूफ़ान की मार से जूझ ही रहे थे कि दूसरा आ गया. न बिजली थी न पानी, मोबाइल और कोई संचार साधन तक कहीं काम नहीं कर रहे थे."

वे कहते हैं, "कल्पना कीजिए, ऐसी स्थिति में लोगों की मदद करना और उनके परिवार वालों से उन्हें मिलाना, काम पर जाना- यह सब कितना दुरूह था. बीते 80 सालों में ऐसा मंज़र नहीं देखा गया था."

तबाही ने प्यूर्टो रिको को संघीय स्तर पर एक दीर्घकालिक समाधान तलाशने के लिए मजबूर किया.

2016 में अमरीकी कांग्रेस ने प्यूर्टो रिको ओवरसाइट, मैनेजमेंट ऐंड इकोनॉमिक स्टैबिलिटी ऐक्ट (प्रोमेसा) पारित किया ताकि यहां की अर्थव्यवस्था के लिए एक 'ओवरसाइट बोर्ड' की स्थापना की जा सके और इस साल की शुरुआत में कर्ज़ के पुर्नगठन योजनाओं की घोषणा की ताकि यह द्वीप 2020 तक दिवालिया की स्थिति से बाहर निकल सके.

प्यूर्टो रिको विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफ़ेसर जोस काराबेलो-क्यूइटो के अनुसार अमरीका अपने 1920 के जोन्स ऐक्ट में बदलाव कर कहीं अधिक मदद कर सकता है. अमरीकी बंदरगाहों पर अमरीका नागरिकों के सामानों पर यह लागू होता है. व्यापार के लिए इसे बाधा माना जाता है.

चरमराती बिजली व्यवस्था को आधुनिक बनाने के प्रयासों की घोषणा पहले ही की जा चुकी है. यहां अमरीकी राज्यों की तुलना में बिजली के दाम दोगुने से भी अधिक हैं. इसकी वजह से फार्मा और मेडिकल सेक्टर की कंपनियों को यहां से व्यापार करने के लिए लुभाना आसान नहीं होगा.

सैन जुआन स्थित एक स्वतंत्र अर्थशास्त्री और सलाहकार एड्रियन पेरेज़ कहते हैं, "यह अन्य कैरिबियाई द्वीपों जैसे कि डोमिनिकन रिपब्लिक की तरह अविश्वसनीय नहीं है. बिजली के दाम इतने अधिक हैं लेकिन फिर भी नियमित रूप से ब्लैकआउट होते रहते हैं."

र्थिक एवं योजना सलाहकार इस्टूडियोज़ टेक्निकोज़ के प्रमुख जोस विलमिल कहते हैं कि मैन्युफैक्चरिंग से अधिक टेकनीशियन और क्लिनिकल टेस्टिंग की ज़रूरत है.

यह बहुत अलग होगा, टेक्नोलॉजी और रिसर्च के अधिक अवसर होंगे, मैन्युफैक्चरिंग और आईटी जैसी उन्नत सेवाओं के बीच बिजनेस अनिश्चित होगी.

प्यूर्टो रिको में एक कारखाने वाली ब्रिटेन की एस्ट्राज़ेनेका का कहना है कि श्रमिक शिक्षित, द्विभाषी, कई तकनीकों में अनुभवी और अमरीकी और वैश्विक नियामकों के गूढ़ जानकार हैं.

Monday, December 9, 2019

香港示威半年后:经济困局与可能出路

香港社会动荡已持续半年,大部分冲突发生在周末,往日熙熙攘攘的街头,成了警察和黑衣人的战场,时常充斥着燃烧弹和催泪烟。

原本人头攒动的尖沙咀海港城,少了操着普通话在奢侈品店门口排队的游客。奢侈品销售连续三个月降幅超四成。

上水和沙田的药妆店内,少了拖着购物车的水货客。接待的中国内地旅行团从日均300个降到最低一天14个。全港零售业也在“黄金十月”直跌24%。

有人欢喜有人愁。对于一些香港居民而言,一夜之间,原本狭窄的人行道有了腾挪的空间,自己绝不会光顾的水货店关门歇业,挤在居民区成排的旅游大巴忽然消失,萧条之下的“难得清静”,不失为一件好事。

但对于旺角女人街的摊主来说,日子不好过,租约早已签,租金还要交,收入突然腰斩。当萧条持续半年还不见好转,脆弱的小商贩不得不停止营业,另寻活路。

在官方的语境中,社会动荡和贸易战使香港内外交困,一场“经济台风”直扑香港,破坏力更甚于2003年的“非典”疫情(香港称“沙士”)。

“直观上看经济形势确实很严峻。”香港中文大学房地产及金融助理教授胡荣表示,主要原因是连续半年的局势不稳,这给旅游业带来持续负面影响。

旅游业相关产业,如酒店、零售业受挫最严重。据香港财政司长陈茂波粗略估算,在第三季经济2.9%的负增长中,超过2个百分点的跌幅是源于零售、餐饮及酒店等行业受到直接而严重的冲击。

游客的多少、店铺的兴衰,可立即被居民和媒体感知,这些产业又吸纳大量就业,因此零售业两位数的萎缩,不免让人有经济骤然遇冷之感。

如果仅看就业,现在香港的经济要好得多,在示威爆发后,失业率仅微升0.3个百分点至3.1%。而2003年“非典”疫情爆发后,二三季的失业率都达到8.6%,比此前一年平均上浮一个百分点左右。

但不代表现在的日子更好过,更宏观数字反映的画面要暗淡得多。今年第三季度香港GDP下跌2.9%,而在非典最严重的2003年二季度GDP仅下跌0.5%;当年香港零售业连续数月跌幅一成多,目前跌幅则在两成左右。

虽然香港经济萎缩,但整体而言,离“谷底”还早得很。受重创的旅游业,其实只占香港GDP的4.7%。

原因是占比最大的贸易和金融受影响有限。贸易虽受中美贸易战影响,但跌幅还维持在个位数;金融领域甚至还迎来阿里巴巴在港上市,募资额史上第三,使香港今年的IPO总额有机会登顶全球第一。

非典疫情对香港经济的打击是短暂的,当年最难过的二季度过去后,三四季度迎来4%和5%的反弹,使全年增幅达到3.3%,甚至比疫情之前的2002年还要高。

与此相比,当前香港经济面临的困境则显得更长期。

“香港在多个方面都面临困难。”安德思资产管理公司董事总经理陆修泉(Brock Silvers)分析认为,在外部,中国经济放缓、贸易战等会拖累香港,但是暂时的;在内部,香港与中国内地紧张的政治关系和社会情绪,引发社会动荡,使很多外国公司不愿投资香港业务或设立子公司,如果这些投资流向其他地方,金融领域的高质量工作会流失,香港将变得无关紧要。后者才是对香港繁荣真正的威胁。

“香港需要记住,金融行业的流动性很高,如果动荡变得过于极端,或者中国介入的方式过于激进,新加坡会仍然是一个极具吸引力的选择。”

祥的苗头似乎已经出现。高盛一份报告称,在六月到八月间,已有大约40亿港币存款从香港转移到新加坡。反映商界信心的采购经理指数(PMI)也从七月的43.8,进一步降到40.8,该指数低于50即代表衰退。

Tuesday, December 3, 2019

कूचबिहार लिंचिंग केसः प्रकाश और हसन के साथ उस रोज़ क्या हुआ था...

प्रकाश दास और नबीउल हसन, दोनों की मौत की कहानियों में एक फ़ोन कॉल का ज़िक्र आता है, एक संदेहास्पद फ़ोन कॉल का.

प्रकाश की बीवी झिनुक मालादास पति को फ़ोन पर पेमेंट दिए जाने का वायदा कर बुलाए जाने और फिर उनकी मौत की ख़बर की बात कहती हैं.

तो नबीउल हसन की मां आसिया बीबी कहती हैं, "एक आदमी ने फ़ोन करके बुलाया कि कहीं जाना है फिर मेरा बेटा मारा गया."

(नबीउल हसन का नाम ज़्यादातर जगहों पर रबीउल इस्लाम लिखा गया है, लेकिन परिवार का कहना है कि उनका नाम नबीउल था)

प्रकाश और हसन को गाय चोरी के इलज़ाम में पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में पीट-पीटकर मार डाला गया था और उनकी गाड़ी फूंक दी गई थी.

गाड़ी को तहस-नहस कर जलाए जाने के निशान सड़क पर तो नहीं, जहां पिकअप वैन को पकड़ा गया होगा बल्कि हाट से थोड़ा अलग एक प्राइमरी स्कूल के प्रांगण में दिखते हैं.

पुलिस के मुताबिक़ केदारहाट गांव के लोगों ने गाड़ी में गाय दिखने और पूछताछ का सही जवाब न मिलने पर प्रकाश दास और नबीउल हसन की बुरी तरह पिटाई की और गाड़ी में आग लगा दी गई.

ख़बरों के मुताबिक़ भीड़ ने कथित चोरी की गाय को खेत में छोड़ जाने दिया था.

परिवार का कहना है कि पिकअप वैन मुताबिक़ हसन की थी, जिसे प्रकाश ड्राइव कर रहा था. प्रकाश हालांकि हसन के लिए लगातार काम नहीं करता था.

चाचा सबीदुल हक़ कहते हैं कि हसन के पास कोई परमानेंट ड्राइवर नहीं था और काम के हिसाब से उन्हें एक या चंद दिनों के लिए रख लेता था.

उन्होंने बताया, "हसन मसाला, चाय और रोज़मर्रा के दूसरे सामान बाज़ार में सप्लाई करता था और उसी काम से उसे दिन माथा भंगा गया था जब केदारहाट के पास क्लब के कुछ लड़कों ने चंदे के लिए उसे पकड़ा और फिर मार-धाड़ किया. बाद में गाय लाकर बांध दिया."

परिवार वाले हादसे के वक़्त हसन के पास एक मंहगा मोबाइल, कैश और सोने की अंगूठी वग़ैरह होने का भी दावा करते हैं.

चार कमरे, बरामदे, आंगन और दालान और पक्की दीवारों से बना घर हसन की माली हैसियत बयां करते हैं.

Thursday, November 21, 2019

कितना महंगा होने जा रहा है मोबाइल इंटरनेट और क्यों

भारत ऐसा देश है जहां पर मोबाइल डेटा की दरें दुनिया में सबसे कम हैं. यहां पर चीन, जापान और दक्षिण कोरिया से भी सस्ता मोबाइल डेटा मिलता है.

लेकिन आने वाले समय में भारतीय ग्राहकों को इसी डेटा के लिए ज़्यादा रकम चुकानी पड़ सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि दो प्रमुख टेलिकॉम कंपनियों ने जल्द ही मोबाइल डेटा का दाम बढ़ाने की घोषणा की है.

भारतीय बाज़ार में एयरटेल और वोडाफ़ोन-आइडिया की राजस्व के मामले में आधे से ज़्यादा हिस्सेदारी है. ये दोनों ही कंपनियां जल्द ही मोबाइट डेटा को महंगा करने वाली हैं.

हाल ही में दोनों कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 10 अरब डॉलर का घाटा दिखाया है. ऊपर से सुप्रीम कोर्ट ने एक पुराने मामले को निपटाते हुए हाल ही में आदेश दिया है कि सभी टेलिकॉम कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपए की रकम सरकार को देनी होगी.

इसी के बाद वोडाफ़ोन ने हाल ही में बयान जारी किया है, "मोबाइल डेटा आधारित सेवाओं की तेज़ी से बढ़ती मांग के बावजूद भारत में मोबाइल डेटा के दाम दुनिया में सबसे कम हैं. वोडाफ़ोन आइडिया 1 दिसंबर 2019 से अपने टैरिफ़ की दरें उपयुक्त ढंग से बढ़ाएगा ताकि इसके ग्राहक विश्वस्तरीय डिजिटल अनुभव लेते रहें."

एयरटेल की ओर से भी इसी तरह का बयान जारी किया गया है. नई दरें क्या होंगी, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है. जियो ने भी अभी तक ऐसी कोई घोषणा नहीं की है.

कंपनियां क्यों डेटा का दाम बढ़ा रही हैं, किस हद तक यह क़ीमत बढ़ेगी और आम आदमी पर इसका कितना फ़र्क पड़ेगा? इन्हीं सवालों के जवाब के लिए बीबीसी संवाददाता आदर्श राठौर ने बात की टेलिकॉम और कॉरपोरेट मामलों के विशेषज्ञ आशुतोष सिन्हा से. आगे पढ़ें, क्या है उनकी राय:

क्यों बढ़ेंगे दाम
पहले टेलिकॉम सेक्टर में कई कंपनियां थीं और उनमें प्रतियोगिता के कारण डेटा की क़ीमतें गिरी थीं. ये क़ीमतें इसलिए भी गिरी थीं क्योंकि दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में भारत में ग्राहकों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही थी.

भारत में 22 टेलिकॉम सर्कल हैं और उनमें तीन कैटिगरीज़ हैं- A, B और C. इनमें C कैटिगरी के सर्कल्स (जैसे कि ओडिशा) में जियो, एयरटेल व दूसरी कंपनियां नए ग्राहक बनाना चाहती थीं. ऐसा इसलिए, क्योंकि यहां के ग्राहक हर महीने डेटा पर बेशक कम रकम ख़र्च करते हैं लेकिन इनकी संख्या इतनी है कि आपकी कुल कमाई अच्छी हो जाती है.

इसी कारण वे कुछ समय के लिए नुक़सान सहकर भी ग्राहकों को आकर्षित करना चाह रही थी. वह दौर अब ख़त्म हो गया है. साथ ही कंपनियां भी कम बची हैं, इसलिए स्वाभाविक है कि डेटा की क़ीमत बढ़ेगी.

एकदम बहुत बढ़ोतरी बड़ी नहीं होगी क्योंकि कंपनियां एकदम से 15-20 प्रतिशत दाम नहीं बढ़ा सकतीं. इसलिए हर कंपनी अपने हिसाब से योजना बनाएगी कि और देखेगी कि किस सेगमेंट से कितना राजस्व बढ़ना है.

दरअसल कंपनियां 'एवरेज रेवेन्यू पर यूज़र' यानी प्रति व्यक्ति होने वाली कमाई को देखती है. अभी भारत में यह हर महीने लगभग 150 रुपए से कुछ कम है. आम भाषा में ऐसे समझें कि एक आम व्यक्ति हर महीने 150 रुपए ख़र्च कर रहा है.

तो कंपनियां ऐसी योजना ला सकती है कि अभी आप महीने में 100 रुपए का प्लान ले रहे हैं तो 120 रुपए का प्लान लीजिए, हम आपको 100 रुपए वाले प्लान से दोगुना डेटा देंगे.

इससे कंपनियां की 20 फ़ीसदी कमाई तो बढ़ जाएगी लेकिन उनका डेटा का ख़र्च उतना नहीं बढ़ेगी कि परेशानी होने लगे.

फिर भी, कंपनियां को अगर राजस्व बढ़ाना है तो ऐसा तभी हो सकता है जब वे मोटा ख़र्च करने वाले ग्राहकों से और पैसा ख़र्च करवाएंगी.